Saturday 21 March 2015

'गांधी नहीं, मेरे आदर्श अशोक और अकबर हैं'

'गांधी नहीं, मेरे आदर्श अशोक और अकबर हैं'- नवभारत टाइम्स के साथ इंटरव्यू

'सच बोलने से अगर कुछ लोग आहत होते हैं तो यह उनकी समस्या है मेरी नहीं।'

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सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके मार्कंडेय काटजू जब-तब मीडिया की सुर्खियां बटोरते रहे हैं। कभी कैटरीना कैफ की खूबसूरती से वह इतना प्रभावित हो जाते हैं कि उसे राष्ट्रपति बनाने की वकालत करने लग जाते हैं और कभी शाजिया इल्मी उन्हें इतनी अच्छी लगने लगती हैं कि वह उन्हें सीएम का कैंडिडेट बनाने के लिए बीजेपी लीडरशिप को सलाह दे डालते हैं लेकिन इस बार मामला गंभीर हो गया है। उन्होंने अपने ब्लॉग में गांधी जी को लेकर टिप्पणी की है, जिसकी वजह से उनके खिलाफ राज्यसभा में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। यूपी की विधानसभा भी उनके खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है। कई जगहों पर उनके खिलाफ एफआईआर भी हुई है। इस तरह के बयानों के पीछे उनका क्या है शगल, यह जानने को जस्टिस काटजू से बात की पॉलिटिकल एडिटर नदीम ने :
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NBT: गांधी जी को लेकर आपने अपने ब्लॉग पर जो लिखा क्या वह उचित है?

Ans: बिल्कुल उचित है। मैंने गांधी को लेकर जो लिखा है, वह एक तरह से बहुत कम है। गांधी ने दो तरह से अंग्रेजों के हितों की पूर्ति की है। एक तो भारत वापसी से लेकर अपनी मृत्यु तक उन्होंने धर्म और राजनीति को मिलाए रखा। 'द कलेक्टेड वर्क्स आफ गांधी' पढ़ें आप खुद पाएंगे कि उनके ज्यादातर लेख और भाषण 'रामराज्य' 'गो रक्षा' 'वर्णाश्रम' 'ब्रह्मचर्य' और इसी तरह के तमाम दूसरे हिंदू विचारों पर केंद्रित हुआ करते थे। उनकी सभाओं में रघुपति राघव राजा राम जैसे हिंदू भजन गाए जाते थे। दूसरे आजादी के लिए शुरू हुए क्रांतिकारी आंदोलन से भयभीत अंग्रेजों का डर निकालने को गांधी उनके मददगार बने और उन्होंने पूरे आंदोलन का रूप बदल दिया।

NBT: लेकिन आजादी तो गांधी की वजह से ही मिली?
Ans: यह कहना कि आजादी गांधी की वजह से मिली पूरी तरह से गलत और बकवास है। क्या यह विश्वास करने वाली बात है कि अंग्रेज अपना इतना बड़ा साम्राज्य गांधी के उपवास, सत्याग्रह और दांडी मार्च या इसी तरह के दूसरे ड्रामों की वजह से छोड़ गए? भारत को 1947 में आजादी इस लिए मिली कि दिवतीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इंग्लैंड को कमजोर कर दिया था और अमेरिका का प्रेशर था।

NBT: आपके तर्क कुछ भी हों लेकिन एक शख्स जिसे राष्ट्रपिता का दर्जा हासिल हो, Ans: उसके लिए इस तरह की भाषा या विचार को कैसे जायज ठहराया जा सकता है?
गांधी को राष्ट्रपिता गलत कहा जाता है। हकीकत में उन्होंने भारत का बहुत नुकसान किया। वह ब्रिटिश एजेंट थे और उसका ताजा सबूत यह है कि लंदन में अभी उनकी मूर्ति का अनावरण किया गया अंग्रेजों की तरफ से। अंग्रेजों ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह, खुदीराम बोस, राम प्रसाद बिसमिल की मूर्ति का अनावरण क्यों नहीं किया?

NBT: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार क्या दूसरों की भावनाओं को आहत करने का अधिकार देता है?
Ans: सच बोलने से अगर कुछ लोग आहत होते हैं तो यह उनकी समस्या है मेरी नहीं।

NBT: अब जब राज्यसभा और यूपी की विधानसभा निंदा प्रस्ताव पास कर चुकी है तो आपको यह लगता नहीं है कि खेद व्यक्त करना चाहिए?
Ans: बगैर मेरा पक्ष जाने मेरे खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर देना नेचरल जस्टिस के खिलाफ है। सदनों को मुझसे माफी मांगनी चाहिए।

NBT: आपका आदर्श कौन है?
Ans: सम्राट अशोक और अकबर।

NBT: गांधी पर लिखने से पहले आप कैटरीना कैफ और शाजिया इल्मी पर रीझ गए थे? इस तरह की बेबाकी का शगल आपको कैसे पैदा हो गया?
Ans: कैटरीना कैफ और शाजिया इल्मी वाली बात तो बस हंसी मजाक वाले टोन में थी लेकिन बेवकूफ लोग हंसी मजाक भी नहीं समझते। दरअसल हुआ यह था कि एक रोज मैंने अखबार में देखा कि एक खूबसूरत महिला क्रोएशिया की राष्ट्रपति चुन ली गई तो हमने भी मजाक के मूड में फेसबुक पर यह पोस्ट डाल दी कि हमारे देश के नेता लोग चुनाव के समय वादों के सिवा कुछ नहीं करते तो इससे अच्छा हम लोग किसी खूबसूरत महिला को ही वोट क्यों न दें? कम से कम अखबारों और टीवी पर उसका खूबसूरत चेहरा ही देखने को मिलता रहेगा।

NBT: कहीं ये पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं?
Ans: मुझे इस तरह की पब्लिसिटी की जरूरत नहीं। मैं जो कुछ कहता हूं, उसका आधार और तर्क होता है। जो लोग मुझसे असहमत हों उन्हें अपनी बात रखनी चाहिए अपने तर्कों के साथ, लेकिन अक्सर होता यह है कि लोग मुझे गालियां देने लगते हैं बगैर किसी कारण के।

NBT: आपकी गम्भीर छवि के इतर अब आपको लोग दिग्विजय सिंह और लालू यादव कर श्रेणी में रखने लगे हैं?
Ans: मुझे इसकी फिक्र नहीं कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं या कहते हैं। मैं देश के लोगों को सच बताने का दायित्व निभाता रहूंगा।

NBT: आप जब महिलाओं पर लिखते हैं तो आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया होती है?
Ans: कुछ नहीं सब लोग हंसते हैं।

NBT: क्या राजनीति में आने का इरादा है?
Ans: मेरा राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं लेकिन राजनीति से बिल्कुट कटा भी नहीं हूं। मैं देश के लोगों से कहना चाहता हूं कि उन्हें लम्बे समय से नेताओं की तरफ से बेवकूफ बनाया जा रहा है।

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/39gandhi-my-ideal-would-ashoka-and-akbar39/articleshow/46636586.cms

7 comments:

  1. for India to be truly secular mentioning caste in any govt form should be discontinued. name of mother / father should be sufficient.

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  2. Chanakya united the country as one nation under one flag under King Chandragupta Maurya. Under him India Empire 322 BC to 185 BC, with its Capital at Patliputra (Patna, Bihar), India stretched to the north along the natural boundaries of the Himalayas, extended from Bengal and Assam in the east, to the west it extended beyond Pakistan, Khorasan, Balochistan Afghanistan including the modern Herat and Kandahar provinces, eastern and south-east Iran in the west, to the Indian Ocean in the south. The Maurya Empire was one of the world's largest empires in its time and the largest ever in the Indian subcontinent. this was followed by Gupta empire from 320 Ad to 550 AD.

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  3. KATJU SAAB,

    EMPEROR ASHOKA NEVER EXISTED .

    NOBODY HEARD OF AMPEROR ASHOKA TILL THE WHITE INVADER CAME TO INDIA .

    WE WNAT OUR NCERT BOOKS TO REFLECT TRUE HISTORY .

    EVERY HERO AND STALWART IN OUR CURRENT NCERT SOCIAL STUDIES BOOKS ARE FAKE-- CREATED AND BACK DATED BY THE WHITE INVADER, TO DIVIDE AND RULE.

    http://ajitvadakayil.blogspot.in/2014/08/chanakya-taxila-university-professor.html

    capt ajit vadakayil
    ..

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  4. भला कोई तुक भी हे ये काटजू सर कहा अशोक अकबर कहा गांधी ? अशोक अकबर राजा थे वो जमाना और था गांधी का जमाना अलग था ? ये कोई बाते हे क्या भला ''अंग्रेजों ने भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकउल्लाह, खुदीराम बोस, राम प्रसाद बिसमिल की मूर्ति का अनावरण क्यों नहीं किया? '' इस हिसाब से तो मंगल पाण्डेय बिरसा मुंडा और 1857 के लाखो शहीदो की भी मूर्ति अंग्रेज़ो ने क्यों नहीं लगाई ? अरे साहब गांधी की लगाई क्योकि गांधी भारत के ही नहीं सारी दुनिया के थे इसी कारण लगाईं यक़ीनन गांधी से कुछ नुक्सान भी हुए वो तो होते ही हे सच्चे उसूल आदर्श तो हमेशा घाटे का ही सौदा होते हे अपने आस पास किसी भी सच्चे ईमानदार इंसान की जीवनी पता कर लीजिये तो उनकी अगली पीढ़ी यही बाते बताती मिलेगी की उनकी अच्छाइयों से हमें कितना ''नुक्सान '' हुआ आप भी उसी अगली पीढ़ी की तरह बात कर रहे हे सर सच तो ये हे की यही '' नुक्सान ''इस दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हे इन्ही नुकसानों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक सेकुलर भारत वजूद में आया रही बात पाकिस्तान की तो -जीत गांधी की ही होगी क्योकि भारत में तो जैसे जिन्ना का कोई नामलेवा नहीं हे जबकि पाकिस्तान तक में चित्रकार अ पने खून से गांधी का चित्र बनाते हे मुझे तो कोई शक ही नहीं हे की गांधी की सौवीं पुण्यतिथि से पहले ही भारत पाक महासंघ बन जाएगा

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    1. द्वितीय विश्वयुद्ध से अँगरेज़ कमजोर हो गए थे तो फिर तो उन्हें भारत की और भी अधिक जरुरत होनी चाहिए थी ताकि फिर से अपने देश को मज़बूत कर सके ? अमेरिका का दिल किसने जीता था जो अमेरिका अपने परम मित्र ब्रिटेन पर दबाव डाल रहा था की जल्दी भारत को आज़ाद करे ? अरे भाई परिस्तितियो के नफा नुक्सान तो चलते ही रहते हे ? ऐसे तो चोरी चोरा काण्ड ना होता असहयोग आंदोलन चलता रहता तो क्या पता क्या होता यु होता ऐसा होता वैसा होता तो इन बातो से किसी का क्रेडिट नहीं लिया जाना चाहिए . जॉर्ज वाशिंगटन को भी फ़्रांस से पूरी मदद मिली थी क्योकि फ़्रांस सप्तवर्षीय युद्ध में अंग्रेज़ो से मिली हार का बदला लेने को तड़प रहा था तो क्या जॉर्ज वाशिंगटन के नम्बर काट ले लाल सेना को अक्टूबर में ही भयानक ठंड से नाज़ियों से रोकने में मदद मिली थी वार्ना मास्को दबोच लिया जाता 41 में ही तो क्या रेड आर्मी से क्रेडिट ले लिया जाए ? ये सब तो चलता ही रहता हे भारत के डैम पर अंग्रेज़ो से सारी दुनिया पर राज़ किया उसी से जर्मनी को सौतिया डाह हुई थी उसी से दो युद्ध हुए ये सब तो चलता ही रहता हे हालात के नफा नुक्सान तो होते ही हे ऐसे तो जिन्ना साहब की बीवी रत्ती की कम उमरी में मौत न हुई होती तो शायद जिन्ना साहब न पगलाते पूरा इतिहास बदल जाता ये बाते तो होती ही हे

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  5. द्वितीय विश्वयुद्ध में अँगरेज़ कमजोर न होते तो वो भारत को आज़ादी ना देते -काटजू सर एक पतिष्ठित मुख्यमंत्री के परिवार से न होते तो जस्टिस ऑफ़ सुप्रीम कोर्ट न बन पाते सिर्फ एक वकील ही होते ? क्या ख्याल हे ?
    यक़ीनन काटजू सर एक बेहद काबिल और मेहनती ईमानदार आदमी हे जो इतनी ऊँची कुर्सी तक पहुंचे मगर काबिल और मेहनती तो मेरी बड़ी सिस्टर भी थी लॉ में मास्टर डिग्री थी आई ए एस की तैयारी थी मगर वो तो सिर्फ गृहणी ही बन पायी क्योकि फादर की डेथ के बाद हमारी सम्पत्ति अननतकाल तक चलने वाली मुकदमेबाजी में फंसी थी घर चलाने के लिए उन्हें स्कूल में पढ़ाना था फिर घर आकर ट्यूशन पढ़ाने थे थे खाना रोटी बनानी थी अक्सर ही बर्तन कपडे भी धोने थे उसके बाद भी आशा थी मगर क्या करे घर में उनके लिए कोई सेपरेट शान्ति से भरा कमरा भी नहीं था मुज्जफरनगर में उन दिनों लाइट भी 12-15 घंटे ही मय्यसर थी अक्सर ही फाल्ट होते थे क्या इनमे से दस प्रतिशत भी मुश्किलो से काटजू सर को झूझना पड़ा होगा ? नहीं ना तो क्या काटजू सर से उनकी उपलब्धियों का क्रेडिट वापस ले किया जाए जैसे वो गांधी से क्रेडिट ले रहे हे ये कहकर की आज़ादी तो द्वितीय विश्वयुद्ध की वजह से मिली ?

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