Monday, 12 January 2015

Agent Provocateurs


On a previous post I copied a message I had received from someone on facebook ( with his name deleted ), in which it was mentioned that several terrorist acts in India have been committed by Hindus posing to be Mulisms, so that the entire Muslim community is defamed and branded as terrorist, though, as I have repeatedly said, 99% Muslims, like 99% Hindus, Sikhs, Christians, etc are good people.

 Many people challenged this statement that some Hindus pretending to be Muslims committed acts of terrorism.

 Apart from the sources given in the message, let me ask : are there not poor people among Hindus who need money ( just as there are among Muslims ) ? And are there not some ( I am not saying all ) Hindus ( like some Muslims ) who will do anything for money ?

 If the answer to these questions is yes, then it logically follows that some agent provocateurs can hire a poor Hindu in need of money to do a terrorist act, pretending to be a Muslim.

 In fact this was the modus operandi often adopted by our British rulers in implementing their nefarious divide and rule policy, which was started after 1857 ( see my articles on my blog ). A hired agent provocateur ( who may belong to any religion ) would deliberately play loud music before a mosque when Friday prayers were being said, or throw the carcass of a slaughtered cow into a Hindu temple and write on the wall ' Allaho Akbar '

 Even after Independence some mischievous persons do such wicked  acts to create animosity between Hindus and Muslims, We must expose them, and maintain our unity at all costs

9 comments:

  1. Mr katju (I am not calling you"Justice" on purpose) you are hopelessly out of touch. Cognitive facilities decline with age, it's a fact. Now that even CJI has praised Modi publicly, have some shame and retire from public life gracefully. You are already a subject of ridicule, don't embarrass yourself any further. When Sonia Gandhi was in power, you were happy licking her boot, now suddenly you have found your spine to speak against power. Do this country a favor and retire. Publicity hound like you have no place in public life.

    ReplyDelete
  2. Please ignore such irritating comments, Justice Katju, and continue with what you think right......!

    ReplyDelete
  3. सिकंदर हयात • 22 days ago
    बड़े ही दुःख की बात हे की लगातार महत्वपूर्ण होते जा रहे नेट पर कोई सबसे अधिक सकिर्य हे तो हिन्दू कटरपन्ति साम्प्रदायिक और सबसे सबसे कम सकिर्य हे तो वो हे शुद्ध सेकुलर ( सेकुलर ना की नास्तिक ) लिबरल भारतीय मुस्लिम वर्ग बाकी सबके मुकाबिल इस शुद्ध सेकुलर वर्ग भारतीय मुस्लिम वर्ग की उपस्तिति नेटिय संसार में सबसे कम हे इसका कारण वही हे जो मेने बहुत पहले भाप लिया था की विभाजन आदि के कारण एक शुद्ध सेकुलर भारतीय मुस्लिम दुनिया का सबसे तनहा और अकेला और दीन प्राणी हे इसी कारण इसकी उपस्तिति नेट और असल जीवन में दोनों ही जगह बहुत कम हे कारण साफ़ हे की इसे किसी का भी सपोर्ट नहीं हे इसे किसी की भी फंडिंग नहीं हे ये किसी के राज़नीतिक हित नहीं साध सकता पूंजीवादी पिशाचों से भी इसकी नहीं बनती ( वजह इस्लाम और समाजवाद बहुत कुछ साझा ) कोंग्रेसी भाजपाई सपा वाम ( एक वाम संपादक अपनी लघु पत्रिका के ऑफिस से व्यंगय में कहु तो मुझे लगभग धक्के से मारचुके हे वो शुद्ध सेकुलर गैर शिकायती भारतीय मुस्लिम को संघी समझते हे जबकि उधर व्यंगय में कहु तो संघी हमारे खून के प्यासे हे ) इसे कोई पसंद नहीं करता हे शुद्ध सेकुलर हिन्दू बुद्धिजीवी भी सपोर्ट नहीं देते वो सोचते हे की इससे उनकी चाँद जैसे उजली सेकुलर छवि पर दाग लग जाएगा इसी कारण आप देखे की भारत में मुस्लिम बुद्धिजीवियों लेखको आदि की भरमार तो रही हे मगर उन्होंने भी एक विशुद्ध सेकुलर लिबरल भारतीय मुस्लिम वर्ग की सदस्य्ता कभी नहीं ली उन्हें अच्छी तरह पता था की ये बहुत कठिन और सरदर्दी वाला कार्य हे किसी का भी तो सपोर्ट नहीं हे ( इसी कारण अलीगढ हो या जामिया ये वर्ग कही नहीं दीखता हे ) अब यही एक छोटा सा उदहारण देख लीजिये की हम कई सालो से मुस्लिम कटटरपन्तियो ( और हिन्दू कटटरपन्तियो से भी ) से भिड़े हुए हमने सबसे अधिक लिखा हज़ारो बहस की हमेशा निरुतर किया आजतक कोई कटटरपन्ति हमारे सामने बहस में टिका नहीं रहा हमने बहुत ज़्यादा लिखा किसी मुद्दे पर कटटरपन्तियो साम्पर्दायिको को कोई छूट कभी नहीं लेने दी लेकिन आप देखे की क्या मजाल हे की कभी संजय तिवारी जी से हमें दाद मिली हो ? सवाल ही नहीं हे जी . उधर ये तस्लीमा रश्दी की परम्परा के परसो के ताबिश साहब आये तो इनके फेसबुक के मुजजसमे भी तिवारी जी ने विस्फोट पर आदरपूर्वक लगाय और अब इनके लेख भी आ गए हे और ये भी देखे की फ़ौरन हिंदूवादीयो का भी इन्हे फूल सपोर्ट मिल गया हे आगे और '' सपोर्ट '' भी मिल सकता हे लेकिन एक शुद्ध सेकुलर भारतीय मुस्लिम उसे कौन पूछता हे उसे कौन फंडिंग या सपोर्ट साथ देगा उसे क्या मिलेगा ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hindu agar apni baat rakhe toh woh Sampradyik...
      Aur Muslim Des bhar me Bum phode toh bhi - सेकुलर , लिबरल भारतीय मुस्लिम वर्ग.....
      SHAME !!!

      Delete
    2. अरे साहब यही तो समझा रहा हु की भारत में एक शुद्ध बिलकुल प्योर सेकुलर ( सेकुलर न की नास्तिक ) लिबरल भारतीय मुस्लिम बुद्धजीवी लेखक विचारक वर्ग -अलीगढ जामिया बी एच यु जे एन यु वगेरह वगेरह कही भी हे ही नहीं ? कही भी नहीं क्यों नहीं हे यही में बता रहा हु

      Delete
  4. में जानता हु मेरी बात सुनकर लोगो के मन में दो चार मुस्लिम बुद्धजीवियों के नाम कोधेंगे लेकिन में बता दू की वो नाम भी माफ़ी चाहूंगा इस शब्द के प्रयोग के लिए की वो भी '' मेनस्ट्रीम '' में नहीं आते हे किसी की वाइफ हिन्दू हे तो कोई शिया बोहरा आदि अलपसंख्यक समाज से आते हे जैसा की मेने बताया की अधिकांश नाम तो शिया हे जैसे असगर वजाहत असगर अली इंजीनियर सईद नकवी कमर वाहिद नकवी राही मासूम रजा तनवीर जाफरी कमर आगा ( कमर आगा तनवीर जाफरी ? ) आदि उपमहादीप में शियाओ और हिन्दुओ का कोई खास टकराव देखने को नहीं मिलता हे शियाओ की लगभग सभी लाग डाट सुन्नियो से ही रही हे इसलिए किसी भी शिया लेखक का सुन्नी कटटरता के खिलाफ लिखना कोई बड़ी या प्रभावी बात नहीं हो पाएगी अच्छा इसके आलावा जो छिठ पुट नाम इधर उधर दिखाई देता हे वो भी सूफी सूफी करते रहते हे मतलब शायद वो सभी बरेलवी हुए और फिल्मो सीरियलों में भले ही सभी मुस्लिम परिवारो को चादर चढ़ाते कव्वाली सुनते ही दिखाए मगर मुसलमानो का बहुमत शायद देवबंदी ही हे मगर सभी दरगाहो पर भीड़ इसलिए भी अधिक दिखती हे की वहा गैर मुस्लिम भी खूब जाते हे चढ़ावा देते हे एम जे अकबर जैसे लोग इलिटस हे अंग्रेजी वाले हे वाइफ इनकी हिन्दू हे ना ये आम मुस्लिम को जानते न आम मुस्लिम इन्हे जानता इसलिए इनका सेकुलरिज़म पेज 3 टाइप ही रह सकता था और रहा भी सलीम अख्तर सिद्द्की साहब जैसे लेखक शुद्ध सेकुलर भारतीय मुस्लिम वर्ग को चाहकर कर भी बना बढ़ा नहीं पाये क्योकि ये नार्मल बाल बच्चो परिवार वाले - और आर्थिक इस्तिति वाले लोग हे और जैसा की मेने बताया की इस वर्ग को किसी का भी तो सपोर्ट नहीं हे ऐसे में कोई सामान्य बाल बच्चो वाला आदमी भला कितना कर सकता हे इस कारण सलीम सर जैसे उपयुक्त लोग भी कुछ ना कर सके तो आप अंदाज़ा लगा सकते हे की एक शुद्ध सेकुलर लिबरल भारतीय मुस्लिम वर्ग का बनना बढ़ना कितना कठिन कार्य हे

    ReplyDelete
  5. Come on fellas the gentleman is well within his right to comments. If you disagree do it with civility even if you use strongs words to express your disagreement.

    ReplyDelete