One cannot doubt the bravery and integrity of Subhash Chandra Bose.
However, the truth is that he became a collaborator with the Japanese imperialists and fascists in the Second World War, and for this he has to be condemned.
The Japanese used him as a tool for their imperialist aims, and the moment his utility was over they would have bumped him off.
If he and his 'Azad Hind Fauj' had real independent strength, why did they surrender when the Japanese surrendered ? They should have carried on a guerilla war against the British army. This shows that without Japanese support the ' Azad Hind Fauj' was only empty gas.
I know that many people will strongly attack me for this statement, but I am not a popularity seeker. The truth must be said, even if it makes one unpopular.
I strongly oppose your view.
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Mutiny of Indian Armed Forces was due to INA. That's the only major reason why British left India.
ReplyDeleteSo Subhas Chandra Bose colluded "with the Japanese imperialists and fascists" , but Mr. Jawaharlal Nehru did not collude with the English and the Chinese and act in a manner which was detrimental to the sovereignty and territorial integrity of India by inter alia illegally forsaking India's right to have Tibet, a buffer country between India and distant China in east Asia as a sovereign and independent neighbouring Country while deliberately leaving incomplete the integration of all the Himalayan princely states and illegally publishing in 1954 a spurious and bogus map of India which did not depict vast areas in India which had hitherto been depicted as an integral part of India pertaining to the period immediately prior to the commencement of the sacrosanct and supreme Constitution of India in particular inter alia the official maps attached to the White Papers published in July 1948 and February 1950 by the Government of India's Ministry of States, headed, incidentally, by Sardar Vallabhbhai Patel, under the authority of India's Survey of India, Office of the Surveyor General of India, G.F.Heaney, in particular the area around Shahidullah in Kashmir and criminally blatantly directing the Survey of India to destroy all the maps which were contradictory to the spurious and bogus map of India published by Mr. Jawaharlal Nehru in 1954 in order to destroy evidence of his crime in accordance with his perverted whims and fancies and in order to sub serve the interests of China!
ReplyDeleteअजित डोभाल जी राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार हे एक बेमिसाल जासूस रहे रिटायरमेंट के बाद विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े जिसकी मोदी सरकार में विशेष भूमिका आप पढ़े http://tehelkahindi.com/what-makes-vivekananda-international-foundation-modi-governments-favourite/ ऊपर वीडियो में अजित साहब और स्वामी जी भारत की आज़ादी का क्रेडिट सुभाष चंद्रबोस जी और आज़ाद हिन्द फ़ौज़ को देते हे सुभाष बाबू की ईमानदारी और देशभक्ति को सेल्यूट करते हुए भी हम विनम्रता के साथ ये कहना चाहेंगे की ये कहना की भारत की आज़ादी का क्रेडिट सुभाष बाबू और उनकी आज़ाद हिन्द फ़ौज़ को ही हे ये हमें तो बोस बाबू के सम्मान और उन्हें भारत की आज़ादी का क्रेडिट देने से अधिक गांधी नेहरू से आज़ादी की लड़ाई में विजय का क्रेडिट लेने का प्रयास अधिक लगता हे जो आज की चुनावी राज़नीति में भी अनुकूल हे क्योकि गांधी नेहरू कमजोर तो मतलब भारत में सेकुलरिज़म की जड़ कमजोर और कांग्रेस पार्टी भी कमजोर ये कमजोर तो एक पार्टी विशेष को ही इसका सबसे अधिक राज़नीतिक फायदा मिलेगा ? पिछले दिनों अपूर्वानंद जी लिखते हे की ” स्वाधीनता आंदोलन में नेहरू के प्रतिपक्षी के रूप में सुभाषचन्द्र बोस का नाम लिया जाता है. नेहरू-बोस के पत्राचार को पढ़ने से दोनों के राजनैतिक दृष्टिकोण का फ़र्क़ समझ आता है. लेकिन उसे सबसे सटीक तरीक़े से समझा था तरुण भगत सिंह ने.वह सुभाष को जुनूनी राष्ट्रवादी और नेहरू को अन्तरराष्ट्रीयतावादी मानते थे और नेहरू को ही नौजवानों के लिए उपयुक्त नेता मानते थे.नेहरू का राष्ट्रवाद कभी भी सुभाष की तरह बदहवास नहीं हो सकता था कि हिटलर का सहयोग करने को तैयार हो जाए.” लेखक पेट्रिक फ्रेंच भारत की आज़ादी पर अपनी किताब ” आज़ादी या मौत ” में नीरद सी चौधरी के हवाले से लिखते हे की पेज 267 ‘ बोस के बारे में काफी शानदार दंत कथाय प्रचलित हे बंगाली मध्यवर्ग भावनावश यह मानने को बाध्य हे की सुभाष बोस के माध्यम से उन्होंने भारत को राज़नीतिक सवतंत्रता दिलाने में एक निर्णायक भूमिका निभाई हे और जहा तक संभव हो वे ग़ांधी जी की भूमिका को नीचा दिखाते हे ‘ कांग्रेस के अस्तित्व में आने के बाद पहले तीस वर्षो के दौरान इसमें बंगालियों का वर्चस्व रहा , लेकिन गांधी जी के उदयीमान होने के बाद उन्हें एक तरफ हटा दिया गया सं 1917 से लेकर आज़ादी तक केवल चितरंजनदास और सुभाष बोस ही केवल ऐसे बंगाली हुए जिन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर काम किया नीरद चौधरी ने बोस को लेकर जो दर्ष्टिकोण प्रस्तुत किया उसे आज बहुत ही कम भारतीय स्वीकार करते हे राष्ट्रिय नायक के तौर पर उनकी काफी ऊँची छवि हे और यह भी उनके बारे में व्याप्त राज़नीतिक सांस्कर्तिक मांगो को देखते हुए निश्चित लिया गया पेज 281 ”आज भारत में बोस की झूठी प्रशंसा करना अपने चरम पर हे . वह मनोवैज्ञानिक रूप से एक ऐसे देशभक्त का अहम किरदार हे जो ब्रिटिश के खिलाफ खड़ा हुआ , जबकि सच्चाई यह हे की उसकी इंडियन नेशनल आर्मी का का सामरिक महत्व अप्रासंगिक हे यह ब्रिटिश को भारत से खदेड़ने में कोई भूमिका नहीं निभा पाई , हालांकि आईएनए पर चले गए अभियोगों ने साम्राज़ी प्रशासन के अस्थायीकरण में जरूर सहायता बोस का मानना था की ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेकना हमारा नैतिक दायित्व हे और हमें यह लक्ष्य किसी भी कीमत पर हासिल करना हे इसी वज़ह से उसने जर्मन और जापानियों से भी संधि कर ली थी और अजीबोगरीब ढंग की सैन्य गतिविधिया भी चलाई .
ReplyDeleteआखिरी शब्द ढाका अखबार के संपादक के थे ” में मानता हु की सुभाषबाबू एक देशभक्त थे लेकिन वह — और अदूरदर्शी थे अपनी जवानी के दिनों में भी ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ता रहा लेकिन में आपको एक बात बताना चाहता हु अगर मुझसे पूछा जाता की आप जापान जर्मनी और ब्रिटेन में से किसे अपना शासक चुनेंगे तो में हमेशा ब्रिटिश को ही चुनता ” . सुभाष बाबू का सम्मान करते हुए भी हम कहेंगे की भारत की आज़ादी का सबसे अधिक क्रेडिट गांधी नेहरू को ही था इन्होने ही एक लोकतान्त्रिक सेकुलर भारत गढ़ा था ये ही थे जो भारत नाम का विचार कोने कोने गाव गाव तक लेकर गए थे ये ही थे जो भारत के साथ साथ बाकी सभी देशो की भी चिंता करते थे ये ही थे जिन्हे दुनिया भर के लोग जनता लेखक नेता अधिकारी अध्यापक बुद्धिजीवी जानते थे मानते थे सवांद करते थे पत्राचार विचार विमर्श करते थे सारी दुनिया में इनकी साख थी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ी आर्थिक ताकत था अमेरिका और फासिज़्म के खिलाफ लड़ाई में दो करोड़ कुर्बानिया देकर और बर्लिन पर झंडा गाड़ कर सबसे अधिक प्रतिष्ठा के मुकाम पर था सोवियत संघ ये दोनों ही राज़ी न होते तो ना इज़राइल बनता और ना ही भारत को फ़ौरन आज़ादी देने का फैसला होता इन दोनों देशो में किसकी गुडविल थी क्या जर्मनी जापान के साथी बोस बाबू की या गांधी नेहरू की ? खुद ही फैसला कीजिये पाठको ? विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन कमजोर हो चूका था भारत पर वो तब ही कब्ज़ा रख सकता था जब एक बड़ी ब्रिटिश फ़ौज़ रखने की आर्थिक और सैनिक सहायता अमेरिका उसे देने पर राज़ी होता मगर दुनिया जानती हे की अमेरिका तो पहले से ही भारत को आज़ाद ही करने पर दबाव डाल रहा था अमेरिका और उसकी जनता का ये दबाव की भारत को आज़ाद करो किसके लिए था क्या बोस बाबू के लिए जिन्होंने अमेरिका के दुश्मन जापान के साथ गठबंधन किया था या उस आदमी ( गांधी ) के लिए जिसका अमेरिका का सबसे बड़ा वैज्ञानिक आईंस्टीन प्रशंसक था ? कहा जाता हे की ब्रिटिश सरकार डर गयी थी की इंडियन नेशनल आर्मी उसके खिलाफ लड़ी थी इससे ब्रिटिश घबरा गए थे सवाल ये हे की उस इंडियन नेशनल आर्मी को किसने रोका था क्या अमेरिकी सोवियत फ़ौज़ ने ? नहीं न बोस बाबू की इंडियन नेशनल आर्मी के खिलाफ भी भारत की फ़ौज़ ही लड़ी थी जिसमे भी भारतीय ही थे फिर क्यों भला ब्रिटिश इतना घबराते ? घबराते तो तब जब सारी की सारी भारतीय फ़ौज़ बगावत कर देती फिर अमेरिका या सोवियत की मदद से ब्रिटिश भारत को जीतते तब अलग बात होती . सच तो यही हे की गांधी नेहरू और कांग्रेस के बड़े बड़े आंदोलनों ने ब्रिटिश शासन की नीव हिलायी ( बकौल चे गुएरा ) गांधी नेहरू ने अपनी उदारता महानता वैश्विकता से दुनिया का दिल जीता जनमत बनाया . जो भी था ब्रिटेन अमेरिका लोकतान्त्रिक देश थे ही जहा जनमत की बुद्धिजीवियों की राय की पूरी तरह अनदेखी नहीं कर सकते थे इसी कारण विश्वयुद्ध के बाद ये जानते हुए भी की भारत गया तो ब्रिटेन का सारा सम्राज़ धीरे धीरे हाथ से निकल जाएगा ( निकला भी ) फिर भी ब्रिटेन ने भारत को आज़ादी देना स्वीकार किया और गांधी नेहरू के प्रयासों से एक महान लोकतान्त्रिक सेकुलर भारत बनाया गया .
ReplyDeletePlease forgive my ignorance, but I thought Netaji had disappeared just three days after the surrender of Japan, and that he was going to in fact organize a guerrilla movement. Maybe you have learned some very different sort of history in elementary school? Of course, as everyone knows, without Netaji's leadership, the INA stood absolutely no chance.
ReplyDeletehttp://khabarkikhabar.com/archives/1314
DeleteInteresting view. Deserves further study or research!
ReplyDeleteAs far as I know, what Justice Katju has said is the official version India has always said. I do not see the place where new research is necessary. Coming from India's core establishment, I did not expect anything different either.
Deletesir,
ReplyDeletei am really an admirer of u.
a patriot who left all luxury of life for whom. he left bengal and went to russia and germany by road or rail.He traveled in a german submarine throughout the allies warship were there. May be whatever reason for japanese to surrender. He will be hero of mine and always. because i hate gandhi and nehru.
Sir one more thing i like to say though my english is not good as u.
what nehru and gandhi did for this country?
If sardar patel was not there a united india would be a dream.
what wrong bhagat singh has done that gandhi and nehru did not protest for hanging of him.
I am not a BJP or AAP supporter. Presently i am a foot soldier in indian defence.
i only and only support INDIA.