This Hindi poet has real talent. I predict he will become a Sur or Tulsi one day !
Apr 9th, 5:48am
(जाति से कश्मीरी पंडित एवं जस्टिस मार्कंडेय काटजू द्वारा गौ मांस खाने का समर्थन देने पर उनको करारा जवाब देती इटावा के कवि गौरव चौहान की ताज़ा रचना)
भारत भू की पावनता है, ममता की परिभाषा है।
धर्म सनातन की सुचिता है, आँगन की अभिलाषा है।।
है प्रभात का पूजन, जन जन के मन का आराधन है।
जिसका रूप स्वरुप स्वयम में गोकुल है वृन्दावन है।।
परिवारों का पोषण है, हर घर की भाग्य विधाता है।
पशु मत समझो इसे, गाय तो हर हिन्दू की माता है।।
लेकिन देखो काश्मीर का पंडित कैसा डोल गया।
वामन का वंशज होकर बाबर की भाषा बोल गया।।
अरे काटजू शर्म न आई तुझको ये बतलाने में।
बड़ा मज़ा आया था तुझको मांस गाय का खाने में।।
फिर से तू खायेगा, ये भी बड़ी शान से बोला है।
कुल के दुष्ट कलंकी तुझ पर खून हमारा खौला है।।
जो हिन्दू गर गौ माता की चीर फाड़ कर सकता है।
वो अपनी निज माता का भी बलत्कार कर सकता है।।
जिसे गाय के टुकडो में प्रोटीन नज़र आ सकती है।
उसको अपनी बहने भी रंगीन नज़र आ सकती है।।
भूख लगे ज्यादा तो, माँ की कमर काट के खा ले तू।
फिर भी ना ये पेट भरे तो सूअर काट के खा ले तू।।
गौ माता को खाया, तू इंसान नही हो सकता है।
कुछ भी हो, तू हिन्दू की संतान नही सकता है।।
इक दिन तू रौंदा जाएगा, प्रतिशोधी उन्मादों में।
तेरा नाम लिखा जाएगा, गजनी की औलादों में।।
न्यायाधीश है लेकिन तुझमे न्यायधीश की बात नही।
मानव मूत्र के बराबरह भी तेरी औकात नही।। राधीका
Apr 9th, 5:48am
(जाति से कश्मीरी पंडित एवं जस्टिस मार्कंडेय काटजू द्वारा गौ मांस खाने का समर्थन देने पर उनको करारा जवाब देती इटावा के कवि गौरव चौहान की ताज़ा रचना)
भारत भू की पावनता है, ममता की परिभाषा है।
धर्म सनातन की सुचिता है, आँगन की अभिलाषा है।।
है प्रभात का पूजन, जन जन के मन का आराधन है।
जिसका रूप स्वरुप स्वयम में गोकुल है वृन्दावन है।।
परिवारों का पोषण है, हर घर की भाग्य विधाता है।
पशु मत समझो इसे, गाय तो हर हिन्दू की माता है।।
लेकिन देखो काश्मीर का पंडित कैसा डोल गया।
वामन का वंशज होकर बाबर की भाषा बोल गया।।
अरे काटजू शर्म न आई तुझको ये बतलाने में।
बड़ा मज़ा आया था तुझको मांस गाय का खाने में।।
फिर से तू खायेगा, ये भी बड़ी शान से बोला है।
कुल के दुष्ट कलंकी तुझ पर खून हमारा खौला है।।
जो हिन्दू गर गौ माता की चीर फाड़ कर सकता है।
वो अपनी निज माता का भी बलत्कार कर सकता है।।
जिसे गाय के टुकडो में प्रोटीन नज़र आ सकती है।
उसको अपनी बहने भी रंगीन नज़र आ सकती है।।
भूख लगे ज्यादा तो, माँ की कमर काट के खा ले तू।
फिर भी ना ये पेट भरे तो सूअर काट के खा ले तू।।
गौ माता को खाया, तू इंसान नही हो सकता है।
कुछ भी हो, तू हिन्दू की संतान नही सकता है।।
इक दिन तू रौंदा जाएगा, प्रतिशोधी उन्मादों में।
तेरा नाम लिखा जाएगा, गजनी की औलादों में।।
न्यायाधीश है लेकिन तुझमे न्यायधीश की बात नही।
मानव मूत्र के बराबरह भी तेरी औकात नही।। राधीका